Hydrogen Fuel Cell Bus Launched In Pune | Hydrogen Bus | भारत की पहली स्वदेश में निर्मित हाइड्रोजन फ्यूल सेल बस पुणे में लॉन्च | First Hydrogen And Air Powered Bus Launched In Pune
देश की पहली हाइड्रोजन फ्यूल सेल बस लॉन्च: देश की पहली हाइड्रोजन बस का पुणे में केन्द्रीय विज्ञान और प्रोद्योगिकी राज्य मंत्री श्री जीतेन्द्र सिंह व्दारा अनावरण किया गया इस हाइड्रोजन बस का निर्माण पुणे के केपिआईटी और सीएसआईआर-एनसीएल व्दारा किया गया है। इस टेक्नोलॉजी की वजहसे देश के नागरिकों को सुलभ और सस्ती ट्रांसपोर्टेशन सुविधा उपलब्ध होगी। देश में बॅटरी से चलनेवाले इलेक्ट्रिक वाहनों का उपयोग शुरू हो गया है। देश धीरे धीरे पारंपरिक इंधन से चलनेवाले वाहनों से मुक्त हो रहा है।
इस हाइड्रोजन बस के अनावरण के समय मंत्रीजी ने कहा की यहाँ प्रधानमंत्रीजी के ”हाइड्रोजन विजन’’ के अनुरूप एक खास पहल है।इस हाइड्रोजन बस का निर्माण हाइड्रोजन फ्यूल सेल के तकनीक पर किया गया है। इस तकनीक में फ्यूल सेल हाइड्रोजन और हवा का मिश्रण बिजली पैदा करने के लिए करता है। और इस तकनीक का बाय प्रोडक्ट है पानी, याने की इस हाइड्रोजन बस चलने से कार्बन की जगह पानी यानि H2O निकलेगा जिसकी कारण बहोत कम प्रदुषण होगा। दोस्तों आज हम इस पोस्ट में भारत में निर्मित पहली हाइड्रोजन बस के सबंधित पूरी जानकारी देखेंगे तो आर्टिकल पूरा पढ़िए।
देश की पहली हाइड्रोजन फ्यूल सेल बस लॉन्च: हाइड्रोजन बस कैसे काम करेगी (फ्यूल सेल)
विशेषज्ञों का कहना है। की इस तकनीक याने फ्यूल सेल टेक्नोलॉजी से चलनेवाले वाहनों की इंधन लागत डीज़ल से चलनेवाले वाहनों से बहोत कम होगी। और यह वाहन प्रदुषण से मुक्त होंगे मंत्रीजी ने इस बारे में कहा की ग्रीन हाइड्रोजन एक उत्कृष्ट स्वच्छ उर्जा वाला साधन है। जो सीमेंट उद्योग, रिफाईनिंग उद्योग, इस्पात उद्योग, उर्वरक उद्योग, और भारी वाणिज्यिक परिवहन क्षेत्र से भी मुश्किल से कम उत्सर्जन के गहरे डीकार्बोनाजेशन को सक्षम बनता है। मंत्रीजी ने आगे काहा की फ्यूल सेल तकनीक से चलनेवाले ट्रकों और बसों के लिए प्रति किलोमीटर परिचालन की लागत डीज़ल से चलनेवाले वाहनों की तुलना में काफी कम होगी, यह तकनीक माल दुलाई के क्षेत्र में क्रांति ला सकता है।
ग्रीन हाइड्रोजन क्या है ? ग्रीन हाइड्रोजन अक्षय उर्जा या कम कार्बन उर्जा व्दारा उत्पादित हाइड्रोजन है। इस ग्रीन हाइड्रोजन में ग्रे हाइड्रोजन की तुलना में कार्बन उत्सर्जन काफी कम होता है। जो प्राकृतिक गैस के भाप को रोफॉर्मिंग करके प्राप्त किया जाता है। ग्रीन हाइड्रोजन स्वच्छ उर्जा का एक रूप है, जो सौर उर्जा जैसे अक्षय उर्जा का उपयोग करके पानी को हाइड्रोजन और ऑक्सीजन ने विभाजित करके प्राप्त किया जाता है, इस तकनीक में जब बिजली पानी से गुजराती है। तब हाइड्रोजन का उत्पादन होता है।
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देश की पहली हाइड्रोजन फ्यूल सेल बस लॉन्च: Hydrogen Bus Highlights
विषय | हाइड्रोजन फ्यूल सेल बस |
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व्दारा निर्मित | केपिआईटी और सीएसआईआर-एनसीएल व्दारा किया गया है |
शुभारंभ | 21 अगस्त 2022 केन्द्रीय विज्ञान और प्रोद्योगिकी राज्य मंत्री श्री जीतेन्द्र सिंह व्दारा अनावरण किया गया |
लाभ | परिवहन क्षेत्र में क्रांति लाना और जीवाश्म इंधन पर निर्भरता कम होगी |
उद्देश् | राष्ट्रीय हाइड्रोजन मिशन का उद्देश्य है, की अक्षय उर्जा तक खुली पहुंच लाना और ग्रीन हाइड्रोजन के उत्पादन को देश में बढ़ावा देना |
तकनीकी | हाइड्रोजन फ्यूल सेल |
श्रेणी | केंद्र योजना |
वर्ष | 2023 |
हाइड्रोजन बस मुख्य विशेषताएं
यह हाइड्रोजन फ्यूल बस हाइड्रोजन फ्यूल सेल तकनीक से बनाई गई है। हाइड्रोजन फ्यूल सेल इलेक्ट्रिक वाहन सबसे अच्छे शुन्य कार्बन उत्सर्जन पर्यायों में से एक है। यह पूर्ण रूपसे पर्यावरण के अनुकूल है और इसका बाय प्रोडक्ट सिर्फ पानी है। इस में से सिर्फ पानी उस्तार्जित होता है, इस ग्रीन हाइड्रोजन का उत्पादन प्रचुर मात्र में उपलब्ध अक्षय उर्जा और विंड उर्जा से किया जा सकता है।
हाइड्रोजन फ्यूल बस की मुख्य विशेषताए।
- इस हाइड्रोजन फ्यूल बस की वजहसे किसी भी प्रकार का प्रदुषण नहीं होगा।
- इस हाइड्रोजन फ्यूल बस से कार्बन उत्सर्जन की जगह शुद्ध पानी उत्सर्जित होगा।
- हाइड्रोजन फ्यूल बस में उपयोग में आने वाले हाइड्रोजन फ्यूल सेल से पेट्रोल और डीज़ल से दोगुनी उर्जा प्राप्त होगी जिसके कारण बस की कार्यक्षमता बढ़ेगी और साथ ही प्रदुषण भी नहीं होगा।
- इस हाइड्रोजन बस में उपयोग में आने वाले सभी इलेक्ट्रोनिक उपकरण और सयंत्र सभी देश में बनाएं गयें है, सभी उपकरण स्वदेशी है।
- इस हाइड्रोजन बस में उपयोग में आनेवाली सभी यंत्रणा को बस के उपरी भाग में स्थापित किया गया है।
- इस हाइड्रोजन बस में एक बार इंधन भरने के बाद बस की क्षमता 600 किलोमीटर तक दौड़ने की है। एक बार इंधन भरने पर 600 की.मी. दौड़ने की क्षमता।
- हाइड्रोजन बस एक किलो हाइड्रोजन फ्यूल में 20 किलोमीटर दौड़ सकती है, एक किलो हाइड्रोजन / 20 किलोमीटर।
- यह बस पर्यावरण अनुकूल है।
- हाइड्रोजन फ्यूल सेल, हाइड्रोजन और वायु का इस्तेमाल कर बिजली उत्पन्न करता है जिसके कारण बस को उसकी शक्ति मिलती है।
- हाइड्रोजन सेल वाहनों में उच्च दक्षता और हाइड्रोजन का उच्च उर्जा घनत्व होता है।
- यह हाइड्रोजन इंधन सेल वाहन शुन्य ग्रीन हॉउस गैस उत्सर्जन करते है, यह सिर्फ पानी को उत्सर्जित करते है।
- ध्यान देनेवाली बात यह है की डीज़ल से चलने वाले भारी वाणिज्यिक वाहनों से लगभग 12 से 14% कार्बन उत्सर्जन और पार्टिकल उत्सर्जन होता है।
- डीज़ल बस जो लंबी दुरी पर चलती है यह बस आमतौर पर सालाना 100 टन CO2 का उत्सर्जन करतीं है और इस तरह की डीज़ल बसेस भारत में 10 लाख से अधिक है।
- भारत की यह पहल ग्रीन हाइड्रोजन उत्पादक देश बनने की दिशा में एक बड़ा कदम है, यह कदम माल धुलाई के क्षेत्र में क्रांतिकारी साबित हो सकता है।
सीएसआईआर-एनसीएल, पुणे
राष्ट्रीय रासायनिक प्रयोगशाला (सीएसआईआर – एनसीएल) पुणे 1950 में स्थापित, यह एक वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद् (सीएसआईआर) की एक घटक प्रयोगशाला है। सीएसआईआर – एनसीएल एक विज्ञान और ज्ञान आधारित अनुसंधान, विकास और परामर्श संघटन है। प्रयोगशाला को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर रसायन विज्ञान और रासायनिक इंजीनियरिंग में वैज्ञानिक अनुसंधान में उत्कृष्टता के साथ-साथ औद्योगिक अनुसंधान के अपने उत्कृष्ट ट्रैक रिकार्ड के लिए जाना जाता है। जिसमे अवधारणा से लेकर व्यवसायीकरण तक उद्योग के भागीदारी शामिल है।
हाइड्रोजन फ्यूल सेल क्या होता है और कैसे काम करता है
हाइड्रोजन इंधन सेल एक उपकरण होता है। जो विद्युत् रासयनिक प्रक्रिया का उपयोग करके इंधन की रासायनिक उर्जा को सीधे बिजली में परिवर्तित करता है। इंधन सेल एक उपकरण है जिसमें एक अनोड़, कैथोड और एक इलेक्ट्रोलाइट होता है। और बिजली उत्पादन की प्रक्रिया इन घटकों के बीच इंटरफेस में होती है। हाइड्रोजन इलेक्ट्रोलिसिस नामक एक प्रक्रिया के माध्यम से उत्पन्न होता है। बिजली पैदा करने के लिए ऑक्सीजन के साथ हाइड्रोजन को संयोजित करने के लिए इंधन सेल का उपयोग करते है।
इंधन सेल एक विद्युत् रसायनिक उपकरण है। यह एक आयन एक्सचेंज झिल्ली का उपयोग करता है, जो एनोड (नकारात्मक इलेक्ट्रोड़) और कैथोड (सकारात्मक इलेक्ट्रोड) को अलग करता है। हाइड्रोजन परमाणु उत्प्रेरक के माध्यम से एनोड में प्रवेश करते है। प्रोटॉन और इलेक्ट्रानों में विभाजित हो जाते है, और फिर उत्प्रेरक से कैथोड तक जाते है, जहां वे ऑक्सीजन के साथ मिलकर पानी बनाते है।
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हाइड्रोजन इंधन की प्रासंगिकता
हाइड्रोजन इंधन को कई जानकार जादुई इंधन कहते है। इस इंधन को भविष्य का इंधन भी कहते है यह इंधन लोकप्रिय हो राहा है क्योंकि यह ग्रीन हॉउस गैसों के उत्सर्जन को घटा सकता है। दुनिया भर में अक्षय उर्जा विकसित करने और कार्बन उत्सर्जन कम करने की मांग है। जिसके कारण हाइड्रोजन इंधन सेल प्रद्योगिकी, जीवाश्म इंधन के विकल्प के रूप में विश्व स्तर पर उभर रही है। जादा कार्बन उत्सर्जन के कारण जलवायु परिवर्तन को नियंत्रण करने की जरुरत को महसूस किया जा रहा है। दुनिया भर में कुछ अग्रणी देश शुन्य उत्सर्जन लक्ष को हासिल करने के लिए। वैकल्पिक उर्जा की खोज के लिए सक्रिय है, भारत ने भी अपनी उत्सर्जन तीव्रता को 45 प्रतिशत कम करने का महत्वपूर्ण लक्ष निर्धारित किया है। हाइड्रोजन इंधन, जीवाश्म इंधन जैसे पेट्रोल और डीज़ल के एक किफायती, प्रभावी और दीर्घकालीन विकल्प के रूप में साबित हो सकता है, भारत में भी अब हाइड्रोजन इंधन सेल प्रोद्योगिकी विकास शुरू हो गया है।
हाइड्रोजन फ्यूल सेल इलेक्ट्रिक वाहन (FCEV) हाइड्रोजन फ्यूल सेल व्दारा संचालित होते है। इलेक्ट्रिक वाहन में वाहन को चलाने के लिए इलेक्ट्रिक मोटर लगी होती है जो बॅटरी में जमा बिजली के माध्यम चलती है। इसके विपरीत हाइड्रोजन फ्यूल सेल वाहन (एफसीइवी) बैटरियो से पावर लेने के बजाय सीधे ग्रिड के माध्यम से पावर लेते है। एफसीआई वाहनों में इंधन सेल का उपयोग करके बिजली उत्पन्न की जाती है और इसे ऑन-बोर्ड संग्रहित किया जाता है।
हाइड्रोजन फ्यूल सेल वाहन (एफसीआई) के लाभ (Benefits)
हाइड्रोजन फ्यूल सेल से संचालित वाहनों का परिवहन याने स्वच्छ साधनों में से एक है। जो पर्यावरण को नुकसान नहीं करते और जिनसे हानिकारक उत्सर्जन और पार्टिकल्स उत्सर्जन नहीं होते, जिनसे केवल पानी का उत्सर्जन होता है और भविष्य में इस हाइड्रोजन प्रद्योगिकी में और सुधार आएगा।
डीर्बोनाइजेशन का लक्ष प्राप्त करने के लिए हाइड्रोजन इंधन सेल चलीत वाहन सहायक हो सकते है। भारी वाहनों के संदर्भ में हाइड्रोजन इंधन सेल कार्बन उत्सर्जन को कम करने के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते है। हाइड्रोजन संचालित वाहन (EV), बैटरी संचालित (BEV) वाहन से बेहतर और उन्नत विकल्प साबित हो सकते है।
हाइड्रोजन इंधन भविष्य में जीवाश्म इंधन का वैकल्पिक समाधान हो सकता है। लेकिन इस तकनीक की अपनी कुछ चुनौतिया है। क्योंकि हाइड्रोजन इंधन, जीवाश्म इंधन जैसे पेट्रोल और डीज़ल से काफी अधिक ज्वलनशील होता है। जिसके कारण सुरक्षा चुनौतिया उत्पन्न होती है, भारत में शरू किये गए राष्ट्रीय हाइड्रोजन मिशन का उद्देश्य है। की अक्षय उर्जा तक खुली पहुंच लाना और ग्रीन हाइड्रोजन के उत्पादन को देश में बढ़ावा देना। दोस्तों, हमने इस लेख में पूना स्थित राष्ट्रीय रासायनिक प्रयोगशाला (सीएसआईआर – एनसीएल) व्दारा निर्मित देश की पहली हाइड्रोजन फ्यूल सेल बस के सबंधित पूरी जानकारी देने की कोशिश की है। आपको यह जानकारी उपयुक्त लगी हो तो हमें कमेंट्स के माध्यमसे जरुर बताएं।
हाइड्रोजन फ्यूल सेल बस FAQ
Q. हाइड्रोजन फ्यूल सेल बस क्या है ?
(Hydrogen Fuel Cell Bus) हाइड्रोजन फ्यूल सेल बस को पुणे स्थित सीएसआईआर – एनसीएल व्दारा विकसित किया गया है, यह बस हाइड्रोजन और हवा का मिश्रण इंधन के रूप में उपयोग करती है, जिसके कारण वायु प्रदूषण नहीं होता और इसमे से पानी का उत्सर्जन होता है।
Q. हाइड्रोजन फ्यूल सेल बस किस तरह काम करती है ?
हाइड्रोजन फ्यूल बसे, हाइड्रोजन फ्यूल सेल व्दारा संचालित होती है जिसमे इंधन सेल हाइड्रोजन की रासायनिक उर्जा को विद्युत् उर्जा में परिवर्तित करता है, लेख में पूरी जानकारी पढ़ सकते है।
Q. एक हाइड्रोजन बस कितने किलोमीटर चलती है ?
एक हाइड्रोजन बस के इंधन पूरा भरने पर 300 किलोमीटर से 400 किलोमीटर औसतन चल सकती है।
Q. क्या इलेक्ट्रिक बसों से हाइड्रोजन बसे बेहतर है ?
इलेक्ट्रिक बसों में विद्युत् भंडारण के लिए बैटरियो का इस्तेमाल होता है लेकिन उनकी तुलना में हाइड्रोजन उच्च उर्जा घनत्व प्रदान करता है। जिसके कारण लंबी दुरी तय करना संभव होता है, और हाइड्रोजन इंधन सेल उत्सर्जन के रूप में केवल पानी उत्पन्न करता है। इसलिए यह बसे हमेशा शुन्य उसर्जन वाली बसे होंगी।